विगत कई वर्षों के अनुभव द्वारा मैंने अधिकतर नव-युवकों तथा पुरूषों को अपनी ही कुछ गल्तियों के कारण बेहद उलझनों व मानसिक तनावों में भटकते हुए पाया है। उनके जीवन की दिनचर्या बुरी संगत अश्लील पुस्तकों का शौक, खान-पान की बदपरहेजी वगैरह ही उनकी
उलझन, कमजोरी तथा मानसिक तनाव का मुख्य कारण है। सैक्स एक ऐसा विषय है जिसके बारे में कोई भी इंसान खुलकर बात नहीं करना चाहता एक डर सा हमेशा उसके दिमाग पर छाया रहता है कि, पता नहीं सुनकर लोग क्या सोचेंगे ऐसे लोग जो सैक्स के बारे में बात
करने से ही घबराते हों वह किसी से अपने गुप्त रोगों के बारें में कैसे कहेंगे उनका यह डर और शर्म उन्हें धीरे-धीरे मानसिक रोगी भी बना देता है इसी शर्म के कारण इलाज भी नहीं लेते। शादी के बाद सुहागरात में अपनी नई-नवेली दुल्हन की आंखों में
अपनी नाकामी के साए देखकर कई लोग अपनी जिन्दगी को शराब के नशे में डूबो लेते हैं तो कुछ जान तक दे देते हैं। खुद तो बर्बाद थे ही जाते-जाते एक मासूम की जिन्दगी को भी दाव पर लगा गए। ऐसे निराश व दुखी नवयुवकों व पुरूषों को फिर से पूरी ताकत-जवानी
के साथ खुशहाल जिन्दगी बिताने के लिए मैंने यह पुस्तक लिखी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि वे इसे पढ़कर इसमें दिए गए सुझावों एवं निदान द्वारा अपने जीवन में एक नया उत्साह नई उमंग और जोश प्राप्त करेंगे तथा लम्बी आयु तक शक्ति स्फूर्ति से परिपूर्ण
कामयाब मर्द बने रहेंगे। इस उपयोगी व ज्ञान का भंडार पुस्तक को स्वयं पढ़ें तथा अपने प्रिय जनों मित्रों को भी पढ़ने के लिए दें। ‘‘हे भगवान ! हमारे आयुर्वेदिक इलाज से जिन रोगियों के भाग्य में निरोगी व तन्दुरूस्त होना लिखा है उन्हें हम तक
पहंुचाने के रास्ते बना दें हमारे इलाज से सभी रोगियों को मनचाहा लाभ हो ऐसा आर्शिवाद दें ताकि वह खुशियों से भरपूर विवाहित जीवन बिता सकें।’’
आज के युग में हर स्त्राी-पुरूष की यही हार्दिक इच्छा रहती है कि वह सारी उम्र जिन्दगी के हर मोड़ पर पूरी तरह नौजवान, चुस्त-दुरूस्त और आकर्षक नजर आएं, उन्हें बुढ़ापे व कमजोरी के अहसास से ही डर लगने लगता है। आज हर व्यक्ति के साथ काम-काज
का भारी दबाव और भाग-दौड़ की समय सीमाएं कुछ ज्यादा ही है जिससे हर व्यक्ति अपने काम-काज से घर लौटने तक एकदम थका हुआ महसूस करता है। यूं तो सामाजिक जीवन तथा गृहस्थ जीवन में मनुष्य की बहुत सी आवश्यकताएं होती हैं जिन्हें पूरा करने के लिए
वह इतनी भाग दौड़ करता है लेकिन इन आवश्यकताओं में एक कुदरती सैक्स इच्छा भी होती है। यही इच्छा व्यक्ति को पूरी उम्र चुस्त-दुरूस्त, जिन्दा दिल व फुर्तिला बनाए रखती है और आज का व्यक्ति कुदरत की दी हुई इस महत्वपूर्ण इच्छा को भी थकान व भाग
दौड़ के तनाव से खो रहा है तथा जीवन साथी के आग्रह पर भी अपने आपको मिलन के लिए तैयार नहीं कर पाता। ऐसे ही व्यक्तियों के लिए उनकी उम्र भर की युवावस्था, सैक्स की सक्रियता, चुस्ती-फूर्ति तथा भरपूर ताकत व जवानी बनाएं रखने के लिए आज भी प्राचीन
ग्रन्थों द्वारा अनुमोदित बहुत से आजमाए हुए गुणकारी नुस्खें मौजूद है जिसे हम आयुर्वेदिक चिकित्सा कहते हैं। इन नुस्खें में अश्वगंधा, अकरकरा, द्राक्षा, असगन्ध, त्रिफला, शतावर, अम्बर, केसर, कस्तूरी, कौंच, कसीस, बंग भस्म व मुक्ता भस्म,
स्वर्ण भस्म आदि जैसी कारगर जड़ी-बूटियां शक्तिवर्धक खनिज और वीर्य बल बनाए रखने वाली शुद्ध भस्में मुख्य हैं जिनके प्राकृतिक तत्वों से बने इलाज द्वारा व्यक्ति उम्र भर ताकत व जवानी से परिपूर्ण रहकर जिन्दगी के हर क्षेत्रा में कामयाबी हासिल
कर लेता है। इसंान अपनी जिन्दगी में दो चीज इच्छा और शौक पर चाहते हुए भी काबू नहीं रख पाता जब कि उसे सही-गलत का भी पता होता है फिर भी वे क्षणिक सुख में खोकर अपने आपको भूल जाते हैं और वे उल्टे-सीधे, प्राकृतिक व अप्राकृतिक तरीके से अपनी
यौवन शक्ति को नष्ट कर लेते हैं जिसका नतीजा कुछ समय के बाद विवाहित जीवन में सैक्स की कमजोरी के रूप में सामने आ जाता है। सैक्स की सफलता और सन्तुष्ट विवाहित जीवन के लिए क्या करें या क्या न करें इस तरह के उपदेश हमें बहुत सी पुस्तकों, लेखों
एवं दोस्तों के जरिए मालूम हो जाता है। लेकिन जब अन्दरूनी कमजोरी के कारण पति-पत्नी के बीच पहले से सोची हुई खुशी, उमंग, शक्ति व मौजमस्ती अचानक गायब मिलती है तो कोई भी पुस्तक, लेख या दोस्त उनके विवाहित जीवन में आए हुए सैक्स कमजोरी के तूफान
को रोकने या उनकी निराशा दूर करने के लिए कुछ भी सलाह नहीं देता ताकि वे अपनी खोई हुई ताकत जवानी की मौजमस्ती फिर से प्राप्त करके अपने विवाहित जीवन का सच्चा सुख व आनन्द उठा सके। सैक्स की कमजोरी से पीड़ित ऐसे व्यक्तियों को स्त्राी मिलन की
पूरी खुशी व मौज-मस्ती पाने की बड़ी बेसब्री से तलाश होती है लेकिन उन्हें सही-सटीक नुस्खों वाला इलाज तथा सलाह कही से भी न मिलने के कारण वे इधर-उधर के बड़े-बड़े विज्ञापनों वाले नीम-हकीम पीढ़ियों से इलाज कर रहे गुप्त रोग चिकित्सकों के पास
भटकते रहते हैं और उनकी तीन या सात दिनों में पूरी तरह से ठीक करने वाली गारन्टी जैसी लच्छेदार लुभावनी बातों में फंस कर उनसे शाही-शहनशाही कोर्स अधिक से अधिक कीमत देकर ले लेते हैं जिसमें उनका बहुत सा धन व समय व्यर्थ में बर्बाद हो जाता
है और नतीजा फिर भी हासिल नहीं होता फिर वे दुखी-निराश होकर अपनी सैक्स की कमजोरी को लाइलाज मानकर ईश्वर व भाग्य के भरोसे छोड़ देते हैं जब कि कोई भी यौन विकार या किसी भी तरह की सैक्स कमजोरी लाइलाज नहीं होती। यदि इलाज में उचित मापदण्ड की
शुद्ध व असली जड़ी-बूटियों खनिजों एवं भस्मों को पूरी तरह ईमानदारी के साथ प्रयोग किया जाए और सही तरीके से रोगानुसार इलाज बनाया जाए तो जटिल से जटिल सैक्स की कमजोरी भी जड़ से हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। बस जरूरत कुछ प्राकृतिक जड़ी-बूटियों
को मौसम व समय के अनुसार प्रयोग करने की होती है। आज के युग में रोग की चिकित्सा मुश्किल नहीं है बल्कि वहमी रोगी की चिकित्सा मुश्किल होती है क्योंकि वह बड़े-बड़े विज्ञापन करने वाले चिकित्सकों के चक्कर में पड़ा रहता है और यही सोचता है कि
मेरा इलाज सिर्फ बड़ा डाक्टर ही कर सकता है। बड़ा डाक्टर बड़े-बड़े बोर्ड लगाने से या झूठे आश्वासन देने से नहीं बन जाता। बड़ा डाक्टर वही होता है जो थोड़े समय में तथा थोड़े खर्च में अपनी मेहनत द्वारा खोज की गई गुणकारी चिकित्सा से रोगी को पूरी
तरह से रोग मुक्त करा दे। सैक्स की कमजोरी से परेशान एवं इधर-उधर के बेअसर इलाजों से थके हारे निराश भाईयों के मार्ग दर्शन के लिए ही इस पुस्तक की रचना की गई है ताकि चैपट हो चुकी सेहत व ताकत जवानी को फिर से बहाल करके खुश व संतुष्ट विवाहित
जीवन बिता सके।
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स्वास्थ पत्रिका ‘‘चेतन अनमोल सुख’’ के संपादक भी है
कई मरीज रोज
क्लीनिक पर इलाज करवाने आते हैं जो मरीज क्लीनिक से दूर हैं या पहुंच पाने में असमर्थ होते हैं या
आना नहीं चाहते तो वो फोन पर बात कर, घर बैठे इलाज मंगवाते हैं